Friday, August 7, 2009

जनाब ये बुतों का प्रदेश है.....

ऐसा तो सिर्फ़ आपकी बहनजी ही कर सकती हैं। पूरा सूबा सूखे की चपेट में है। कृषि प्रधान देश के महत्वपूर्व राज्य की जमीं सोना नही बल्कि पत्थर उगल रही है। पानी न मिलने की वजह से जमीने दरकने लगी है लेकिन बहनजी हैं की उनके कान में जूं तक भी नही रेंग रही। लगता है की अपने चुनाव निशान हाथी की तरह वह सिर्फ़ अपना मुह यानी ख़ुद को ही देख रही हैं, उन्हें अपने विशालकाय शरीर यानी जनता का दुःख-दर्द समझ में नही आ रहा है। न ही उसका अहसास हो पा रहा है।

भगवान् बचाए ऐसे नेताओं से जो सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के नारों के साथ सत्ता में तो आ जाते हैं, लेकिन हिताय और सुखाय से सदैव कोसों दूर भागते रहते हैं। यहाँ बात हो रही है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की। उनके मूर्ति प्रेम और पार्क प्रेम की। मायावती ने तो हदें ही पार कर दी हैं। क्या अब उन्हें सत्ता mei अगली बार नही आना है क्या...। या फिर वो बेहतर तरीके से यह जान गयी हैं की उत्तर प्रदेश के भइया-बहनों को समझ में कुछ भी नही आने वाला। जब तक हो अपनी चला ही लो...बाद का क्या भरोसा। चुनाव के समय थोडी सी घुट्टी पिला दो, जिसका असर मतदान तक तो रहता ही रहता ही है। हाल में विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश हुआ, जिसमे जो बातें सामने आई वो स्तब्ध कर देने वाली थी। विश्वास ही नही होता की कोई शासक अपनी जनता के लिए भला इतना कैसे निष्ठुर हो सकता है। बजट में बहनजी की तरफ़ से मूर्ति और पार्कों के लिए ४२७ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जबकि सूखे से निपटने के लिए २५० करोड़। अब देखिये ऐसा तो सिर्फ़ आपकी बहनजी ही कर सकती हैं। और किसी की क्या मजाल जो बेजान पत्थरों के लिए इतनी राशिः का प्रावधान करे और जान के लिए इतना कम प्रावधान। वैसे भी मैं आपको बताता चालू की इस सूबे में जान की कोई कीमत नही है। हाल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकडों के मुताबिक पुलिस मुठभेड़ में यह सूबा और सूबों से मीलों आगे है। इससे आप सहज ही अंदाजा लगा सकेंगे की राज्य में बेजान ही बचेंगे। बोले तो बुत सिर्फ़ और सिर्फ़ बुत। आंकडों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में २००६-०७ में ८२, २००७-०८ में ४८, २००८-०९ में ४१ और वर्ष २००९-१० में २२ जुलाई तक ११ फर्जी मुठभेड़ के मामले दर्ज किए जाए है......सरकारी तौर par......। तो भला अब बताइए कौन क्या कर सकता है। बहनजी तो बहनजी ही ठहरी.....उनके साथ के लोग भी कम महान नही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के सभापति सुखराम सिंह यादव ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित महापुरुषों की मूर्तियों का तत्काल अनावरण करने के राज्य सरकार को सलाह भी दे डाली। सभापति महोदय ने कहा की सरकार महापुरुषों की स्थापित मूर्तियों का तत्काल अनावरण सुनिश्चित करे। बकौल यादव महापुरुष धर्म, वर्ग और जाती से ऊपर है...........और बेचारी जनता इन सबसे नीचे......।

देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर ही सही चुनाव आयोग ने विकास के धन से कथित तौर पर मूर्तियाँ लगाने के मामले में बहिन जी को तलब करके ठीक ही किया है। मायावती को नोटिस जारी कर १२ अगस्त तक जवाब देने के लिए कहा गया है। बहरहाल रिपोर्टों की माने तो मायावती सरकार मुख्यमंत्री की मूर्ति समेत ऐसी सरंचनाओं पर १५०० करोड़ पहले ही खर्च कर चुकी हैं....और जान बोले तो सजीव किसानों के लिए लगाये बैठें हैं आस, की खर्च कहीं से मिल जाए। मालूम हो की सूबे के ७१ में से ५८ जिले सूखे घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन आदत है की बदलने का नाम ही नही ले रही है।

Monday, August 3, 2009

.....हो ही गया कलियुग की राखी का स्वयंवर

आखिरकार आइटम गर्ल राखी सावंत ने अपना आइटम बॉय, बोले तो जीवनसाथी इलेश को चुन ही लिया। ये पब्लिसिटी स्टंट था या फिर २४ कैरेट सोने की तरह शुद्ध.....भगवान् ही जाने। लेकिन इतना तो तय हो ही गया है की राखी ने इस स्वयंवर से अपने आपको त्रेता युग की सीता और द्वापर युग की द्रोपदी के स्वयंवर की कतार में थोड़ा बहुत तो लाकर खड़ा कर दिया है। इस पर अब धार्मिक संगठनो को कोई बवेला खड़ा करने की कोई जरूरत नही है। और न ही मैं ऐसा लिखकर किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचा रहा हूँ।

अरे भाई....इसमे किसी को कोई आपति भी नही होनी चाहिए। जैसे-जैसे युगों के नाम और उनके चरित्र में अन्तर आया है, उस दौरान के लोगों में, राखी कलियुग में पूरी तरह फिट बैठती हैं और इसमे किसी को कोई आपत्ति भी नही होने चाहिए। विश्वास ही नही होता....आँखें झुकी हुई, चेहरे में शरमाहट और शीलता का लबादा ओढे राखी पहले जैसी २ अगस्त की रात को लग ही नही रही थी। जैसा मैं क्या, हर वो शख्स, जो थोडी बहुत टीवी का शौकीन है और उसके जरिये अपने नौटंकी के लिए प्रसिद्ध राखी को वो जानता है। अगर २ अगस्त यानी रविवार की रात वो राखी को देखता तो उसे उस पर कत्तई विश्वास ही नही होता। हया और लाज नजर आ रही थी राखी के चेहरे पर...जो अक्सर उसके चेहरे से कोसों दूर रहा करती थी। राखी के लिए तीन दूल्हों क्षितिज, इलेश और मानस को देखकर रविवार की रात एकदम यह नही लग रहा था की कुछ इनके साथ राखी बुरा-भला कर सकती है। किसी एक के गले में वरमाला डालने से पहले राखी ने भगवान् को याद किया और उनसे यह प्राथना की किवह उनके निर्णय में उसका साथ दें। राखी ने अपना स्वयंवर देख रहे लोगो को अपने चिरपरिचित अंदाज में नर्वस कर ही दिया, जब उनने वरमाला डालने के लिए ये कह दिया कि अब आगे के लिए स्वयंवर पार्ट २ में मिलते हैं। सभी थोडी देर के लिए स्तब्ध रह गए, लेकिन पल भर कि देरी किए बगैर झट में राखी ने कनाडा के इलेशपरुजन्वाला को वरमाला पहना दी। तो यह था....कलियुग का स्वयंवर, जिसका गवाह आधे से अधिक का हिंदुस्तान रहा है। यह इसीलिए क्योंकि जिसे चैनल में यह लाइव दिखाया जा रहा था, उसकी टीआरपी अब तक कि सबसे ज्यादा रही है। मतलब साफ़ है कलियुग का स्वयंवर देखने के लिए कलियुग के दर्शक ही उनकी टीआरपी बढाने में लगे थे.......शायद मेरे जैसे।

राखी का स्वयंवर होते ही उसके पुराने एकतरफा आशिक रहे मीका ने भी यह ऐलान कर डाला कि वो भी राखी कि तर्ज पर स्वयंवर नही स्वयाम्वाधू करेंगे। ये था नहले पर दहला। इतना तो तय है कि राखी ने कलियुग में स्वयंवर कर एक नयी परिपाटी तो चला ही दी है। एक अभिनेत्री अमृता राव ने भी राखी कि ही तरह स्वयंवर रचने कि अपनी इच्छा जगजाहिर कर दी है। अब देखना यह है कि कलियुग के ये स्वयंवर कितना सफल रहते हैं। क्या राखी सीता और द्रोपदी कि तरह अपने वर का हर समय साथ देती हैं या फिर ..................।