Monday, May 9, 2011

‘हमारे नहीं, पाक गेंदबाजों में दम’


पूर्व तेज गेंदबाज प्रभाकर ने कहा, मर चुकी हैं भारतीयों की इच्छाएं

हमारे देश में बॉलिंग को लेकर लोगों की इच्छाएं मर चुकी हैं। आप पाकिस्तान में देखिए, तो वहां के लोगों की इच्छाशक्ति मजबूत है। कुछ करने की उनमें जिद है, जिससे पाक को गेंदबाजों की फैक्ट्री कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। टीम इंडिया में बेहतरीन गेंदबाजों की कमी को स्वीकारते हुए पूर्व तेज गेंदबाज मनोज प्रभाकर काफी खिन्न नजर आए। धर्मपुर के पाइनग्रोव स्कूल में 29 सितंबर से शुरू हुए गल्र्स क्रिकेट टूर्नामेंट में बतौर चीफ गेस्ट प्रभाकर ने भास्कर से विशेष बातचीत में दिल से कुछ ऐसी ही ढेर सारी बातें निकालीं। बकौल प्रभाकर इस समय टीम में ऑलराउंडरों का भी काफी अभाव है। इरफान पठान की ओर इशारा करते हुए प्रभाकर कहते हैं कि वह एक बेहतरीन बॉलर है, लेकिन इसको पता नहीं क्यों टीम इंडिया में खिलाया ही नहीं जा रहा। कप्तानों पर निशाना साधते हुए कहा कि ऑलराउंडर पैदा नहीं होते, बल्कि बनाए जाते हैं। भज्जी और जहीर कुछ कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अपना एटीट्यूड बदलना होगा।

शेर नहीं सवासेर बनाऊंगा:
क्लास 7 में पढऩे वाले अपने 13 वर्षीय दूसरे बेटे राहिल को लेकर प्रभाकर कहते हैं कि वह एक अच्छा क्रिकेटर बन सकता है। बकौल प्रभाकर जो भी मुझ में कमी रही है, उसे मैं अपने बेटे में पूरा कर दूंगा। तीन—चार साल बाद आपकी शेर से नहीं सवासेर से मुलाकात हो सकती है।
सबूत हैं तो निकाल बाहर करो:
हाल में स्पॉट फिक्सिंग में फंसे पाक क्रिकेटरों के बाबत प्रभाकर का कहना है कि यदि आईसीसी को कोई दोषी नजर आता है, तो उसे तुरंत निकाल बाहर करो। इन मामलों में डर जरूरी है। बिना डर के ऐसी गंदगी को साफ करना मुमकिन नहीं है। अगर सबूत हैं तो निलंबन का रास्ता कम ही अपनाया जाए।
सांप तो कुंबले भी पालते हैं:
कॉमनवेल्थ गेम्स पूरी तरह से सफल होंगे। प्रभाकर कहते हैं कि मैच खेलने हम कहीं भी जाते थे तो कोई हमें सिर पर नहीं बैठाता था। हमारे यहां तो बाहर से आने वाले को काफी तवज्जो दी जाती है। खेलगांव में सांप निकलने के बाबत प्रभाकर कहते हैं कि सांप तो कुंबले भी पालते हैं।

दैनिक भास्कर, 1 अक्टूबर 2010 के अंक में प्रकाशित।