बहुतों को मैंने बदलते देखा है।
सेकेंडों को मिनटों बनते देखा है।।
जिनके पास था कभी मिनटों का जवाब।
उनको घंटों में बदलते देखा है।।
पलों को गिनने की तो आदत मेरी ही थी।
आज वही आदत मेरे लिए नासूर बन गई ।।
किये थे वादे हर वक्त साथ निभाने के।
आज देखा है उन्ही को टूटते हुए।।
टूटने का सिलसिला तो तब से ही शुरू हुआ।
जब से मैंने उनके टूटे दिल को रफ्ता-रफ्ता जोड़ा था।।
धूल के उड़ते हुए कणों की तरह।
मैंने उनके मिनटों को हवा में उड़ते हुए देखा है।।
बहुतों को मैंने बदलते देखा है।
सेकेंडों को मिनटों बनते देखा है।।
Saturday, January 9, 2010
बहुतों को मैंने बदलते देखा है...
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