ऐसा तो सिर्फ़ आपकी बहनजी ही कर सकती हैं। पूरा सूबा सूखे की चपेट में है। कृषि प्रधान देश के महत्वपूर्व राज्य की जमीं सोना नही बल्कि पत्थर उगल रही है। पानी न मिलने की वजह से जमीने दरकने लगी है लेकिन बहनजी हैं की उनके कान में जूं तक भी नही रेंग रही। लगता है की अपने चुनाव निशान हाथी की तरह वह सिर्फ़ अपना मुह यानी ख़ुद को ही देख रही हैं, उन्हें अपने विशालकाय शरीर यानी जनता का दुःख-दर्द समझ में नही आ रहा है। न ही उसका अहसास हो पा रहा है।
भगवान् बचाए ऐसे नेताओं से जो सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के नारों के साथ सत्ता में तो आ जाते हैं, लेकिन हिताय और सुखाय से सदैव कोसों दूर भागते रहते हैं। यहाँ बात हो रही है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की। उनके मूर्ति प्रेम और पार्क प्रेम की। मायावती ने तो हदें ही पार कर दी हैं। क्या अब उन्हें सत्ता mei अगली बार नही आना है क्या...। या फिर वो बेहतर तरीके से यह जान गयी हैं की उत्तर प्रदेश के भइया-बहनों को समझ में कुछ भी नही आने वाला। जब तक हो अपनी चला ही लो...बाद का क्या भरोसा। चुनाव के समय थोडी सी घुट्टी पिला दो, जिसका असर मतदान तक तो रहता ही रहता ही है। हाल में विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश हुआ, जिसमे जो बातें सामने आई वो स्तब्ध कर देने वाली थी। विश्वास ही नही होता की कोई शासक अपनी जनता के लिए भला इतना कैसे निष्ठुर हो सकता है। बजट में बहनजी की तरफ़ से मूर्ति और पार्कों के लिए ४२७ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जबकि सूखे से निपटने के लिए २५० करोड़। अब देखिये ऐसा तो सिर्फ़ आपकी बहनजी ही कर सकती हैं। और किसी की क्या मजाल जो बेजान पत्थरों के लिए इतनी राशिः का प्रावधान करे और जान के लिए इतना कम प्रावधान। वैसे भी मैं आपको बताता चालू की इस सूबे में जान की कोई कीमत नही है। हाल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकडों के मुताबिक पुलिस मुठभेड़ में यह सूबा और सूबों से मीलों आगे है। इससे आप सहज ही अंदाजा लगा सकेंगे की राज्य में बेजान ही बचेंगे। बोले तो बुत सिर्फ़ और सिर्फ़ बुत। आंकडों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में २००६-०७ में ८२, २००७-०८ में ४८, २००८-०९ में ४१ और वर्ष २००९-१० में २२ जुलाई तक ११ फर्जी मुठभेड़ के मामले दर्ज किए जाए है......सरकारी तौर par......। तो भला अब बताइए कौन क्या कर सकता है। बहनजी तो बहनजी ही ठहरी.....उनके साथ के लोग भी कम महान नही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के सभापति सुखराम सिंह यादव ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित महापुरुषों की मूर्तियों का तत्काल अनावरण करने के राज्य सरकार को सलाह भी दे डाली। सभापति महोदय ने कहा की सरकार महापुरुषों की स्थापित मूर्तियों का तत्काल अनावरण सुनिश्चित करे। बकौल यादव महापुरुष धर्म, वर्ग और जाती से ऊपर है...........और बेचारी जनता इन सबसे नीचे......।
देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर ही सही चुनाव आयोग ने विकास के धन से कथित तौर पर मूर्तियाँ लगाने के मामले में बहिन जी को तलब करके ठीक ही किया है। मायावती को नोटिस जारी कर १२ अगस्त तक जवाब देने के लिए कहा गया है। बहरहाल रिपोर्टों की माने तो मायावती सरकार मुख्यमंत्री की मूर्ति समेत ऐसी सरंचनाओं पर १५०० करोड़ पहले ही खर्च कर चुकी हैं....और जान बोले तो सजीव किसानों के लिए लगाये बैठें हैं आस, की खर्च कहीं से मिल जाए। मालूम हो की सूबे के ७१ में से ५८ जिले सूखे घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन आदत है की बदलने का नाम ही नही ले रही है।
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