Tuesday, September 30, 2008

कोई तो बचना ही चाहिए.....

आज अगर खामोश रहे तो, कल सन्नाटा छायेगा
हर बस्ती जल जायेगी, हर घर जल जाएगा
तब सन्नाटे के पीछे से, एक सदा ये आएगी
कोई नही है, कोई नही है, कोई नही है.........
पता नही मनमोहन जी आज कल मन में सिर्फ़ यही पक्तियां आ रही है। आख़िर इस देश में हो क्या रहा है। कब तक यूँ ही खून की नदियाँ बहती रहेगी। कब तलक मांग से सिन्दूर मिटता रहेगा....कब तक यूँ ही उजड़ती रहेगी किसी माँ की गोद। आतंकवाद है की ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा है और न ही कोई हो रही है इसे ख़त्म करने की ठोस पहल। हर हप्ते कहीं न कहीं कोई न कोई आतंकवाद की लपेट में आ ही जा रहा है। हाल में हुए दिल्ली और महाराष्ट्र में विस्फोट आख़िर किसकी विफलता दर्शाते हैं। मर तो आम आदमी ही रहा है। क्यों हो रहा है सरकारी तंत्र विफल। आख़िर क्यों नही दिया जा रहा जैसे को तैसे मुहतोड़ जवाब।
मुझे आज भी याद है वो ग्यारह सितम्बर २००१ का दिन। जिस दिन अमेरिका पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें नेस्तनाबूद हों गया था वर्ल्ड ट्रेड सेंटर। बस नजर आ रहा था, तो सिर्फ़ आसपास खंडहर। उस समय मैं था बमरौली एयर फोर्स स्टेशन में। जैसे ही हमला हुआ बज गया पूरे एयर फोर्स स्टेशन में सैरन। सैरन बजते ही तेज हो गई पूरे एयर फोर्स स्टेशन कर्मियों और उनके परिजनों की धड़कने। बस सब के दिल में भय बैठ गया था। सोचिये यह भय भारत में हमला होने का नही था। था तो सिर्फ़ अमेरिका जैसे देश में हमला होने का भय। जब अमेरिका जैसा देश सुरक्षित नही है तो हम कैसे सुरक्षित रह सकते हैं। तब का ग्यारह सितम्बर २००१ का दिन और आज का दिन। २००१ के बाद अमेरिका पर ऐसा कोई हमला नही हुआ जिसमें बेकसूरों को मोहरा बनाया जाए। अमेरिका ने आतंकवादियों का मुहतोड़ जवाब दिया........अरे भाई ज्यादा न सही तो कम से कम अपने देश में उसका सर तो कुचल ही दिया। और लगा है अभी भी कुचलने mइ उका सर। लेकिन हमारे यहाँ हमले हैं की थमने का नाम ही नही ले रहे हैं । रोज कहीं न कहीं आतंकवादी विस्फोट करते है, जिसमें चली जाती है नौनिहालों समेत वृद्ध और नवजवानों की जानें।
अब बहुत हो गया..........कुछ तो ठोस पहल की ही जानी चाहिए। नही तो यूँ ही जाती रहेंगी बेकसूरों की जानें और राजनेता सेंकते रहेंगे तुष्टिकरण की रोटियां। दहशतगर्दों को अब सबक सिखाने का समय आ गया है। केन्द्र में सत्तासीन सरकार को चाहिए की वो अब तुष्टिकरण की राजनीति बंद कर देश की आने वाली पौध के मन से भय का साया निकाल फेंके। नही तो मुझे नही लगता की जिस सुंदर भारत का सपना मनमोहन सरकार मन में सजाये केन्द्र में सत्तासीन हुई थी, वो और आगे लगातार काबिज रह पायेगी। मनमोहन जी ने करार में तो बाजी मार ली है ....तो क्या वो अब देशवासियों की सुरक्षा में बाजी मार पाएंगे..........जवाब चाहिए.........।

1 comment:

Anonymous said...

Baba ko sabse pehle badhai ki aakhir apne shabdo ko abhivyakti dene ka jariya talaash liya.....ham bhi aapki us antarman ki pida ko samajh sakte hain...jo
blog mein apne pehle post ke roop me aayi....jawaab to jaroor milna chahiye....nahi to phir koi dhamaka youn hi kisi na kisi ko apni jad mein leta hi rahega..khair jo bhi ho.. Maa Durga aapko aur aapke blog ko shakti dein....Navratri ke saath-saath blog shuru karne ki badhai...