Sunday, March 22, 2009

पहले ख़ुद को आजमाएंगे, जरूरत हुई तो गठबंधन धर्म निभाएंगे

धर्मनिरपेक्ष पार्टी का चोल ओढे कांग्रेस इस समय एकला चलो की नीति पर चलने को आमादा हो गई है। पहले उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और अब बिहार-झारखण्ड में लालू यादव से अलग रहकर चुनाव लड़ने की पार्टी की रणनीति के पीछे पार्टी के युआ नेता राहुल गाँधी का दिमाग बताया जा रहा है। इसे पार्टी के दिग्गज राहुल रिवाइवल प्लान कहने से भी गुरेज नही कर रहे हैं। इसके तहत कांग्रेस अपने आप को उत्तर भारत में अकेला खड़ा करने की कोशिश में जुट गयी है।

दिग्गजों का मानना है की उत्तर भारत में गठबंधन धर्म निभाते-निभाते पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार में तो पार्टी के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है। मालूम हो की ये दोनों सूबे १२० संसद द्सदन में भेजते हैं। वर्ष १९९८ के लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस को ७.२७ फीसद वोट मिले थे, तब सूबे से झारखण्ड अलग नही हुआ था। लेकिन वर्ष २००४ में गठबंधन के बाद मत फीसद घटकर करीब ४.४९ पर आकर सिमट गया था। वहीं उत्तर प्रदेश में पार्टीको १९९८ में ६.०२ फीसद वोट, जबकि २००४ में वोट फीसद बढ़कर १२.४ फीसद हो गया। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी कहते हैं की हमारी कोशिश रही है की हम धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक मंच पर ला सकें। लेकिन यदि हमारे सहयोगी गठबंधन का धर्म निभाने के लिए तैयार नही हैं, तो हम अकेले ही चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे भी पार्टी ने इन राज्यों में पहले काफ़ी लंबे समय तक राज किया है। वैसे भी राहुल ने देश के युआवों को अपनी तरफ़ मोड़ना शुरू कर दिया है। पार्टी के युआ नेता देश के सभी राज्यों में जा-जाकर युआवों को अपनी और आकर्षित करने में जुट गए हैं। बकौल तिवारी १९९८ मी पंचमढ़ी में हुए अधिवेशन में एकला चलो की रणनीति तय की थी, लेकिन जिस तरह अटल बिहारी वाजपेयी ने ६ साल तक गठबंधन सरकार चलायी, उसके बाद कांग्रेस ने भी रीजनल दलों की तरफ़ अपना झुकाव बढ़ा दिया। २००३ के शिमला अधिवेशन में पार्टी ने अपनी दिशा बदली और २००४ में सहयोगी दलों के साथ मिलकर संप्रग की सरकार बनायी, लेकिन ऐसा करने में पार्टी ने उत्तर प्रदेश और बिहार में अपना जनाधार खो दिया।

दिग्गजों का मानना है की राहुल ने कांग्रेस को मजबूत करने का बीनाउठा लिया है। राहुल की योजना है की पार्टी को अब किसी रीजनल दल की तरफ़ देखना न पड़े। हालाँकि मनीष बड़ी ही साफगोई से इस बात को भी कहने से नही चूकते हैं की यदि हममें कुछ खामी रह जाती है, तो हम गठबंधन धर्म निभाने से भी नही चूकेंगे। राहुल के इस प्लान के तहत हम उत्तर प्रदेश और बिहार में अकेले दम पर ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लडेंगे। यदि कोई पार्टी यह सोचती है की कांग्रेस के बिना वह धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई लड़ लेगी, तो यह उसकी भूल होगी। बिना किसी सहयोग के चुनाव लड़ने से कार्यकर्ताओं औत पार्टी नेताओं का उत्साह दुगुना रहेगा और वे बिना किसी दबाव के पार्टी हितों को ध्यान में रखते हुए बेहतरीन कदम उठाने से परहेज नही करेंगे। (राज एक्सप्रेस, भोपाल के २२ मार्च २००९ के अंक में प्रकाशित )

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