Monday, March 23, 2009

...बख्श दो भाई गाँधी को !

ऐ भाई अब रहने दो.....बख्श दो महात्मा गाँधी को। बहुत हो गया....अब तो बंद कर दो बांटने की राजनीति। पहले देश को बांटा, फिर लोगों को, फिर जाती और धर्म के बीच खड़ी कर दी बड़ी सी दिवार। और अब बांटने पर तुलगए हैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को। क्या पता बापू को आजादी के आधी शताब्दी बीत जाने के बाद उनके देश के महान नेता उन्हें ही बांटने पर लग जायेंगे। वरुण गाँधी के मुस्लिम विरोधी बयानों ने एकबारगी फिर गाँधी के अस्तित्व को खुल्लम खुल्ला चुनौती दे डाली है।

वरुण का पीलीभीत में दिया गया सांप्रदायिक बयान काफी हद तक बचकाना ही था। अपने बाप यानी संजय की तर्ज पर दौड़ा-दौड़कर नसबंदी करने और महात्मा गाँधी को बुरा-भला कहने जैसे बयानों को देकर वरुण ने अपने मानसिक दिवालियापन का सुबूत दे दिया है। भले ही इस मुस्लिम विरोधी बयान ने चुनाव में कथित हिंदूवादी संघटनों की रगों में खून का संचार औसतन मात्र में कुछ जयादा ही बढ़ा दिया हो, पर इसने गाँधी के अस्तित्व को चुनौती तो दे ही डाली है। गाँधी के वंशज होने के नाते इन्हे कुलतारण कहा जाए तो अतिशयोक्ति नही होगी। आजकल चाहे वह पूरब हो या पश्चिम, हर तरफ़ ये गाँधी हमारा है.....वो गाँधी तुम्हारा है.....और यदि हम गाँधी के पार्टी के न होते तो तुम्हारा बहुत कुछ बिगाड़ लेते....जैसी बातें बड़ी ही आसानी से सुनने को मिल जा रही हैं। कई हिंदूवादी संगठन वरुण के साथ कदम से कदम मिलकर खड़े हो गए हैं, तो कईयों ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। मोर्चा खोला उन्ही लोगों ने, जो अपने आप को कथित धर्मनिरपेक्ष बतातें हैं। महाराष्ट्र की प्रमुख पार्टी शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे तो इस कदर वरुण के कायल हो गए हैं की उन्होंने तो सहर्ष यह करार दे दिया की यह गाँधी तो हमारा है। जो किसी का हाथ काटने से गुरेज नही करता, जो किसी की जान लेने से पहले एकबारगी नही सोचता.....वह गाँधी बाल ठाकरे का है। ठाकरे को लगता है की मुद्दतों से ऐसे ही गाँधी की तलाश थी। दुर्भाग्य था की महात्मा गाँधी वरुण से पहले आ गए। उस गाँधी को ठाकरे जैसे लोगों ने नही कहा था की ये गाँधी हमारा है। ठाकरे को हाँथ-पैर काटने और लोगों को लहूलुहान करने वाला वरुण गाँधी चाहिएन की सत्य की राह पर चलने वाला गाँधी। ऐसा लगता है की ठाकरेजी को तो अब तक कोफ्त होती रही होगी......उस अहिंसा वाले गाँधी से, जिसने सत्य, धर्म और अहिंसा की राह पर चलकर ठाकरे जैसे लोगों को चैन की नींद सोने की लिए जगह मुहैया कराई। कोफ्त होती रही होगी उस गाँधी से जिसने हमेशा पहले देश का सोचा, देश की जनता का सोचा न की किसी व्यक्ति विशेष या किसी जाती विशेष का। मतलब साफ़ है की आज के राजनेताओं को अब लाठी वाला नही, बन्दूक और तलवार वाला गाँधी चाहिए। जो जब चाहे, कहीं भी चाहे किसी का गला और किसीको भी लहूलुहान कर सकता हो।

संघियों और कट्टर हिंदू संग्तनों की तो मनो बांछे खिल गयी हों। बड़े दिनों बाद उन्हें कोई सिरफिरा फिरेब्रद नेता मिला है.....और देर क्या थी ले लिया उसे हांथो-हाँथ। १५वी लोकसभा के चुनावने तो गाँधी पर एक नयी बहस को जन्म दे डाला है। कुछ कथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं को तो मनो बैठे बिठाये मुद्दा मिल गया हो। राजद के लालू यादव ने वरुण को तो यहाँ तक कह डाला की अगर मैं गृहमंत्री होता तो वरुण को तो निपटा ही देता। अब पता नही कौन किसे नाप रहा है, या फिर है नापने की फिराक में। गुजारिश बस इतनी है की बख्श दो गाँधी को....।

पाक बुद्धजीवी चिंतित:
वरुण के मुस्लिम विरोधी बयानों से पकिस्तान के बुद्धजीवी वर्ग में कोहराम मच गया है। मशहूर ई जिंक पाक टी हाउस के संपादक रजा रूमी का कहना है की वरुण यदि भारत के चुनावों में निर्वाचित हो जाते है तो पाक उनका अगला निशाना होगा। गाँधी की मुस्लिमों के बारे में टिप्पणिया हमारे लिए चिंता का विषय है, क्योंकी इसमे हमें घृणा करनेवालों की जमात बताया गया है। यदि हमारे इस्लामियों और जेहादियों पर दुनिया की नजर आती है तो वरुण जैसे मूर्खों को चिंता नही करनी चाहिए। बुद्धजीवियों का कहना है की कल्पना करिए की अगर वरुण सत्ता में आ जाते हैं तो, निश्चित रूप से हमारे सर कलम कर दिए जाने चाहिए। क्योंकी हमारे नाम डरावने हैं और हम मुस्लिम हैं।

No comments: