ये तमाचा है...हर उस हिन्दुस्तानी के गाल पर जो गर्व से लबरेज होकर पन्द्रह और छब्बीस जनवरी को भारत माता की जय-जय कार लगाता हुआ चलता है। और सीना तान के कहता है की उसे अपने इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और यहाँ के बाशिंदों पर नाज है।
उड़ीसा के कंधमाल जिले की घटना हमारा सर शर्म से झुका देने के लिए काफ़ी है। कोफ्त होती है....जब हमारे हिंदूवादी संगठनों की तरफ़ से अल्पसंख्यकों पर कहर बरपाया जाता है। खासकर जब इनकी क्रोधाग्नि में झुलस जाते हैं स्त्री और नौनिहाल। कंधमाल जिले में पच्चीस अगस्त को हुई हिंसा के दौरान एक नन के साथ हुए दुराचार को याद कर रोयें खड़े हो जाते हैं। हदें तो तब पार हो गयी जब एक महिला को कुछ अतिवादी सगठनों ने भारत माता की जय........भारत माता की जय...के नारे लगाते हुए निर्वस्त्र घुमाया........। इन हिंदू अति वादी सगठनों ने भारत माता तक को नही बख्शा। क्या भारत माता यही चाहती है की उनके सुपुत्र किसी बेसहारी महिला को निर्वस्त्र घुमाते हुए उसकी जय- जय कार लगायें। सच बताऊँ तो कभी-कभी शर्म आती है की यह वही धरती है जहाँ कभी पांचाली द्रोपदी की लाज बचाने के लिए ख़ुद मुरलीधर को आना पड़ा था। इससे बड़ी हुक्मरानों के लिए शर्म की बात क्या कोई और हो सकती है। इनमें से कुछ हुक्मरान तो इस पर भी राजनीति करने से नही बाज आ रहे है। राज्य सरकार को नन से दुराचार मामले की जानकारी पूरे पाँच हफ्ते बाद हुई। अब बताये उस निकम्मी राज्य सरकार से न्याय की क्या उम्मीद की जाए। इस राज्य में भाजपा समर्थित सरकार है......तो क्या अब न्याय इस परिवार समेत उनको मिल पायेगा जो इस हिंसा की गोद में जा समायें हैं। अल्पसंख्यकों पर गाज २३ अगस्त को विहिप नेता की मौत के बाद गिरी थी। फिर क्या था....मच गया पूरे इलाके में कोहराम, जो की अब तक मचा हुआ है। बहरहाल एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में ये सब शोभा नही देता। जिस नन के साथ दुष्कर्म हुआ था, उसका अभागा पिता दुर्गा पूजा में मशगूल था। उस अभागे पिता का इस पूरी घटना पर महज यही कहना है की दोषियों को सजा माँ दुर्गा ही देंगी। इससे बड़ा किसी राष्ट्र के लिए और क्या दुर्भाग्य हो सकता है, जहाँ के बाशिंदे इन्साफ के लिए सिर्फ़ परमेश्वर पर ही आस टिकाये हुए हो। अब बेचारे असहाय माता-पिता को ये भी पता नही हैं की उनकी राज दुलारी कहां है या फिर किस हालत में है।
यह सब ऐसे समय हुआ है जब वैटिकन की ओर से भारत की पहली नन को संत की उपाधि से नवाजे जाने की घोषणा हुई।सिस्टर अल्फोंजा केरल की रहने वाली हैं। शायद इसी के चलते केन्द्र की मनमोहन सरकार ने उड़ीसा सरकार पर जल्द से जल्द इस मामले को निपटा लेने की नसीहत भी दे डाली है। अब यहाँ ये सवाल उठता है की जब कहीं बम विस्फोट होते हैं तो हमारी पुलिस, जो विस्फोट होने के बाद ही जागती हैं, इसको अंजाम देने वाले मुखिया को खोजने निकल पड़ती है। तो क्या इस क्रूरतम घटना को अंजाम देने वाले मुखिया को हमारी पुलिस खोज निकालने में सफल हो पायेगी......जवाब चाहिए....।
उड़ीसा के कंधमाल जिले की घटना हमारा सर शर्म से झुका देने के लिए काफ़ी है। कोफ्त होती है....जब हमारे हिंदूवादी संगठनों की तरफ़ से अल्पसंख्यकों पर कहर बरपाया जाता है। खासकर जब इनकी क्रोधाग्नि में झुलस जाते हैं स्त्री और नौनिहाल। कंधमाल जिले में पच्चीस अगस्त को हुई हिंसा के दौरान एक नन के साथ हुए दुराचार को याद कर रोयें खड़े हो जाते हैं। हदें तो तब पार हो गयी जब एक महिला को कुछ अतिवादी सगठनों ने भारत माता की जय........भारत माता की जय...के नारे लगाते हुए निर्वस्त्र घुमाया........। इन हिंदू अति वादी सगठनों ने भारत माता तक को नही बख्शा। क्या भारत माता यही चाहती है की उनके सुपुत्र किसी बेसहारी महिला को निर्वस्त्र घुमाते हुए उसकी जय- जय कार लगायें। सच बताऊँ तो कभी-कभी शर्म आती है की यह वही धरती है जहाँ कभी पांचाली द्रोपदी की लाज बचाने के लिए ख़ुद मुरलीधर को आना पड़ा था। इससे बड़ी हुक्मरानों के लिए शर्म की बात क्या कोई और हो सकती है। इनमें से कुछ हुक्मरान तो इस पर भी राजनीति करने से नही बाज आ रहे है। राज्य सरकार को नन से दुराचार मामले की जानकारी पूरे पाँच हफ्ते बाद हुई। अब बताये उस निकम्मी राज्य सरकार से न्याय की क्या उम्मीद की जाए। इस राज्य में भाजपा समर्थित सरकार है......तो क्या अब न्याय इस परिवार समेत उनको मिल पायेगा जो इस हिंसा की गोद में जा समायें हैं। अल्पसंख्यकों पर गाज २३ अगस्त को विहिप नेता की मौत के बाद गिरी थी। फिर क्या था....मच गया पूरे इलाके में कोहराम, जो की अब तक मचा हुआ है। बहरहाल एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में ये सब शोभा नही देता। जिस नन के साथ दुष्कर्म हुआ था, उसका अभागा पिता दुर्गा पूजा में मशगूल था। उस अभागे पिता का इस पूरी घटना पर महज यही कहना है की दोषियों को सजा माँ दुर्गा ही देंगी। इससे बड़ा किसी राष्ट्र के लिए और क्या दुर्भाग्य हो सकता है, जहाँ के बाशिंदे इन्साफ के लिए सिर्फ़ परमेश्वर पर ही आस टिकाये हुए हो। अब बेचारे असहाय माता-पिता को ये भी पता नही हैं की उनकी राज दुलारी कहां है या फिर किस हालत में है।
यह सब ऐसे समय हुआ है जब वैटिकन की ओर से भारत की पहली नन को संत की उपाधि से नवाजे जाने की घोषणा हुई।सिस्टर अल्फोंजा केरल की रहने वाली हैं। शायद इसी के चलते केन्द्र की मनमोहन सरकार ने उड़ीसा सरकार पर जल्द से जल्द इस मामले को निपटा लेने की नसीहत भी दे डाली है। अब यहाँ ये सवाल उठता है की जब कहीं बम विस्फोट होते हैं तो हमारी पुलिस, जो विस्फोट होने के बाद ही जागती हैं, इसको अंजाम देने वाले मुखिया को खोजने निकल पड़ती है। तो क्या इस क्रूरतम घटना को अंजाम देने वाले मुखिया को हमारी पुलिस खोज निकालने में सफल हो पायेगी......जवाब चाहिए....।
1 comment:
सार्थक पड़ताली आलेख . बधाई
मेरे ब्लॉग पर दस्तक देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
मेरी नई पोस्ट कांग्रेसी दोहे पढने हेतु आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं
Post a Comment